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अरब सागर में गिरने वाली नदियाँ

1.      कच्छ की खाड़ी में गिरने वाली नदियाँ :

क. लूनी नदी –

·      वेदों में इसे लवणवती कहा गया है।
·      उद्गम – नागपहाड़ (अजमेर) से उद्गम स्थल से सागरमती कहलाती है। जब पुष्कर की पहाड़ियों से निकलने वाली सरस्वती नदी गोविन्दगढ़ से सागरमती में मिलती है तो लूनी कहलाती है।

·      प्रवाह – अजमेर, नागौर, पाली, जोधपुर, बाड़मेर व जालौर
·      यह पश्चिमी राजस्थान की मुख्य नदी है।
·      बालोतरा (बाड़मेर) तक इसका पानी मीठा रहता है व इसके बाद खारा हो जाता है।
·      खारेपन का कारण – स्थानीय क्षेत्र की मिटटी में लवणता की अधिकता।
·      इसकी लम्बाई – 330 किमी
·      जालौर के दक्षिण भाग में लूनी नदी के अपवाह क्षेत्र को नेहड़ कहा जाता है।
·      लूनी नदी से जोधपुर के जसवंत सागर बांध में पानी की आपूर्ति होती है।
·      जालौर जिले में लूनी के बाद के क्षेत्र को रेल (नेड़ा) कहा जाता है।

सहायक नदियाँ –

1. जोजरी नदी –
· एक मात्र नदी जो दाहिनी ओर से आकर मिलती है तथा अरावली पर्वतमाला से नहीं निकलती है जबकि शेष सहायक नदियाँ अरावली पर्वतमाला से निकलती है।
· उद्गम – पोंण्डलू (नागौर) से
· प्रवाह – यह जोधपुर शहर से दक्षिण पश्चिम से निकलती है।
· समापन – सिवाणा (बाड़मेर) के पास लूनी नदी में समापन हो जाता है।

2. लीलडी नदी –
· उद्गम – ब्यावर की पहाड़ियों से व पाली शहर के पश्चिम में इसका लूनी नदी में समापन हो जाता है।

3. बांडी नदी –
· उद्गम – फुलाद गाँव (पाली) से निकलती है (पाली शहर बांडी नदी के किनारे बसा है)।
· पाली शहर के पास से गुजरते हुए लाखर गाँव (पाली) में लूनी नदी में इसका समापन हो जाता है।

4. सुकड़ी नदी –
· उद्गम – देसुरी (पाली)
· प्रवाह – पाली, जालौर, बाड़मेर
· समापन – समदड़ी (बाड़मेर)

5. जवाई नदी –
· पश्चिमी राजस्थान की गंगा
· उद्गम – गोरिया बाली (पाली)
· समापन – गुढ़ा (बाड़मेर) के पास

6. खारी नदी –
· उद्गम – शेरपुर गाँव (सिरोही)
· समापन – जवाई (सायला-जालौर) नदी में
· इसकी सहायक नदी बाणडी II है

7. सागी नदी –
· उद्गम – जसवंतपुरा
· प्रवाह – जालौर
· समापन – लूनी (जालौर) में।

ख. पश्चिम बनास नदी –

·      नया सनावरा (सिरोही)
·      प्रवाह – सिरोही
·      समापन – कच्छ का रण (कच्छ की खाड़ी) अरब सागर
·      सहायक नदियाँ – सुकली, गोह्लन, कूकड़ी आदि

1. सुकली नदी –
· उद्गम – सिलारी गाँव की पहाड़ियों से निकलती है
· समापन – गुजरात में जाकर पश्चिमी बनास में जा कर मिल जाती है।
खम्भात की खाड़ी में गिरने वाली नदियाँ

ग. माहि नदी –

·      कंठला की गंगा, दक्षिण की स्वर्ण रेखा आदि उप नाम
·      उद्गम – मेहद झील आममोरू गाँव (धार) विन्ध्याचल की पहाड़ियां (म.प्र.)
·      राजस्थान में प्रवेश – खान्दू गाँव (बांसवाडा)
·      प्रवाह – बांसवाडा, प्रतापगढ़, डूंगरपुर।
·      माहि नदी कर्क रेखा को दो बार पारकरती है
·      माहि बजाज सागर बांध बांसवाडा के बोरखेड़ा गाँव के पास इसी नदी पर बना है।
·      कुल लम्बाई – 576 किमी
·      राजस्थान में लम्बाई – 171 किमी.
·      सहायक नदियाँ – ईरु, सोम-जाखम, चाप, अनास-हारन

1. ईरु नदी –
· उद्गम – प्रतापगढ़
· प्रवाह – प्रतापगढ़, बांसवाडा
· माहि नदी पर गुजरात में कडाना बांध बना हुआ है।
· माहि नदी का प्रवाह क्षेत्र छप्पन का मैदान कहलाता है
· डूंगरपुर जिले में बेणेश्वर के निकट माहि, सोम व जाखम का संगम होता है। जिसे त्रिवेणी संगम कहते है

2. सोम नदी –
· खेरवाड़ तहसील (उदयपुर), बिछामेडा पहाड़ियों से उदयपुर व डूंगरपुर की सीमा बनाती हुई माहि में बेणेश्वर(डूंगरपुर) नामक स्थान पर मिल जाती है|
· बांध – सोमकागदर (उदयपुर), सोम कमलाअम्बा (डूंगरपुर)

3. जाखम नदी –
· आदिवासियों की गंगा।
· उद्गम छोटी सादड़ी (प्रतापगढ़), डूंगरपुर
· समापन – बेणेश्वर नामक स्थान पर सोम में मिलती है।
· सहायक नदियाँ – करमोई, सूकली (सीतामाता अभ्यारण)

4. चाप नदी –
· उद्गम – बांसवाडा जिले में
· समापन – बांसवाडा व डूंगरपुर की सीमा पर

5. अनास नदी –
· उद्गम – म.प्र. में अम्बेर गाँव में
· प्रवेश – मेलड़ीखेड़ा (बांसवाड़ा) में प्रवेश 
· समापन – गुजरात-डूंगरपुर सीमा पर गलियाकोट (डूंगरपुर में) माहि में मिल जाती है

घ. साबरमती –

·      उद्गम – उदयपुर की कोटड़ा तहसील से
·      प्रवाह – उदयपुर
·      समापन - गुजरात के साबरकांठा जिले में प्रवेश कर सम्पूर्ण गुजरात में बहते हुए खम्भात की खाड़ी में गिरती है
·      सहायक नदियाँ – वाकल, मानसी, सेई, हथमती, मेश्वा, वतरक, माजम इत्यादि।

1. वाकल नदी –
· उद्गम – गोगुन्दा की पहाड़ियों से निकलती है
· प्रवाह – उदयपुर
· समापन – उदयपुर, गुजरात की सीमा पर  साबरमती नदी में

2. मानसी नदी –
· गोगुन्दा की पहाड़ियों से उदयपुर से ही निकलती है ओर वही मिल जाती है।
· मानसी-वाकल पेयजल परियोजना – प्रथम शुरंग आधारित पेयजल परियोजना जो उदयपुर को पेयजल उपलब्ध कराती है।
· HZL (Hindusthan Zinc Limited) व राजस्थान सरकार के सहयोग से 70 : 30 अनुपात में बनी।

3. सेई नदी –
· उद्गम – कोठड़ी तहसील (उदयपुर)। यह नदी साबरमती में पश्चिम की ओर से आकर मिलती है
· सेई नदी पर सेई परियोजना बनाई जा रही है।

· हथमती, मेश्वा, वरतक व माजम (ये सभी नदियाँ पूर्व से उदयपुर व डूंगरपुर जिलो से निकलती है तथा साबरमती में मिल जाती है।

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